
नई दिल्ली (विश्वास टीम)। सोशल मीडिया पर एक पोस्ट वायरल हो रही है, जिसमें मेडबेड्स यानी कि एक तरह के बॉडी स्कैनर की तस्वीरें साझा की जा रही है। इन तस्वीरों के साथ दावा किया जा रहा है कि यह स्कैनर न केवल शरीर की कोई भी बीमारी को पकड़ सकता है, बल्कि उसे केवल ढाई मिनट में ठीक भी कर सकता है। पोस्ट में आगे दावा किया गया है कि मेडबेड्स आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर काम करते हैं।
विश्वास न्यूज ने पड़ताल की तो पाया कि वायरल पोस्ट में दिख रही तस्वीरें साल 2013 में रिलीज हुई साइंस फिक्शन फिल्म एलीसियम से ली गई हैं। अब तक ऐसा कोई बॉडी स्कैनर नहीं बना है, जिससे ढाई मिनट में किसी भी बीमारी को ठीक किया जा सके।
क्या है वायरल पोस्ट में?
फेसबुक पर Jessica Lynn Heaton नामक यूजर ने यह तस्वीरें साझा की। वायरल पोस्ट के साथ मौजूद तस्वीरों में एमआरआई मशीन जैसे नजर आने वाले बॉडी स्कैनर में एक बच्ची लेटी हुई दिखती है। दावा किया गया है कि मेडबेड्स आपकी मसल्स, स्किन और यहां तक कि खून की माइक्रोन लेवल तक स्कैनिंग करके बीमारी का पता लगाती है और फिर किसी भी बीमारी को ढाई मिनट में ठीक हो जाएगी।
विश्वास न्यूज को वॉट्सऐप चैटबॉट नंबर 9599299372 पर इस पोस्ट को फैक्ट चेक करने की रिक्वेस्ट मिली।
पोस्ट का आर्काइव्ड वर्जन यहां देखा जा सकता है।
पड़ताल
विश्वास न्यूज ने जब वायरल तस्वीरों को गूगल रिवर्स इमेज सर्च की मदद से ढूंढा तो हमने पाया कि यह सभी तस्वीरें साल 2013 में रिलीज हुई साइंस फिक्शन फिल्म एलीसियम से ली गई हैं। फिल्म के ट्रेलर में वायरल हो रही सभी तस्वीरें देखी जा सकती हैं।
फिल्म में दिखाया गया है कि अमीर लोगों के पास मेडबेड्स की सुविधा है, जिससे वो लोग न केवल बीमारियां पकड़ पाते हैं, बल्कि उन्हें ठीक भी कर लेते हैं। वायरल पोस्ट में भी ऐसा ही दावा किया गया है।
इसके बाद हमने इंटरनेट पर मेडबेड्स के बारे में सर्च किया। हमें “मेडबेड्स: स्मार्ट मेडिकल बेड” टाइटल से एक रिसर्च पेपर मिले। इसे आईईईई ने पब्लिश किया था। इन पेपर्स के अनुसार, मेडबेड ऐसा स्मार्ट डिजिटल मेडिकल बेड है, जिससे कई तरह की मुश्किलें हल हो सकती हैं, जैसे अगर नर्स के आने में देरी हो या नर्स मौजूद न हो तो यह बेड कुछ जरूरी एक्शंस अपने आप लेने में समर्थ है।
हालांकि, इस पूरे पेपर में यह कहीं नहीं लिखा कि यह बीमारी का पता लगा कर उसे महज ढाई मिनट में ठीक कर सकता है।
दिल्ली के अपोलो हॉस्पिटल में क्रिटिकल केयर स्पेशलिस्ट डॉ. निखिल के अनुसार, अगर ऐसा संभव हो जाए कि कोई मशीन खुद ही बीमारी की पहचान कर उसे ढाई मिनट में ठीक कर दे तो डॉक्टर्स की जरूरत ही नहीं बचेगी। वायरल पोस्ट में जिस मशीन का दावा किया गया है ऐसी कोई मशीन नहीं है। फेसबुक पर यह पोस्ट Jessica Lynn Heaton नामक यूजर ने साझा की है। यूजर की फेसबुक प्रोफाइल स्कैन करने पर हमने पाया कि यूजर मिशिगन, अमेरिका की रहने वाली है।
निष्कर्ष: वायरल पोस्ट में नजर आ रही मशीन से ढाई मिनट में बीमारी को ठीक नहीं किया जा सकता, वायरल तस्वीरें साल 2013 की एक फिल्म से ली गई हैं।
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