
नई दिल्ली (Vishvas News)। सोशल मीडिया में जेएनयू के शरजील इमाम की रिहाई की मांग की एक तस्वीर झूठे दावे के साथ वायरल हो रही है। कुछ लोग एक पुरानी तस्वीर को वायरल करते हुए यह झूठ फैला रहे हैं कि यह फोटो किसान आंदोलन से जुड़ी हुई है।
विश्वास न्यूज ने वायरल पोस्ट की जांच की। हमें पता चला कि केरल के तिरुअनंतपुरम में हुए एक पुराने प्रदर्शन की तस्वीर को अब कुछ लोग दिल्ली के किसान आंदोलन की बताकर वायरल कर रहे हैं। हमारी जांच में वायरल पोस्ट फर्जी साबित हुई।
फेसबुक पर यूजर्स एक तस्वीर को वायरल करते हुए दावा कर रहे हैं कि यह किसान आंदोलन में शरजील इमाम की रिहाई की मांग की तस्वीर है। फेसबुक यूजर क्षितिश्वर सतपति ने 12 दिसंबर को एक तस्वीर को अपलोड करते हुए उसे किसान आंदोलन का बताया। अंग्रेजी में दावा किया गया : ‘Farmers Protest ?? the real fact behind the scene.’
फेसबुक पोस्ट का आर्काइव्ड वर्जन यहां देखें।
विश्वास न्यूज ने सबसे सबसे पहले वायरल तस्वीर को ध्यान से देखा। हमें तस्वीर में बाएं ओर मलयालम में लिखा हुआ नजर आया, जबकि तस्वीर में मौजूद बैनर के दाएं ओर वेलफेयर पार्टी ऑफ इंडिया अंग्रेजी में लिखा हुआ नजर आया। मतलब साफ था कि तस्वीर केरल की है।
जांच को आगे बढ़ाते हुए विश्वास न्यूज ने रिवर्स इमेज टूल्स का इस्तेमाल किया। सर्च के दौरान हमें एक ट्विटर हैंडल पर यही तस्वीर मिली। इसे मोहम्मद इमरान ने 15 अप्रैल 2020 को अपलोड की थी। यानी किसान आंदोलन शुरू होने से महीनों पहले।
पड़ताल के अगले चरण में विश्वास न्यूज ने वेलफेयर पार्टी ऑफ इंडिया के केरल यूनिट से संपर्क किया। पार्टी के राज्य सचिव साजिद खालिद ने बताया कि वायरल तस्वीर पुरानी है। यह प्रदर्शन तिरुअनंतपुरम में हुआ था।
निष्कर्ष: विश्वास न्यूज की पड़ताल में वायरल पोस्ट फर्जी साबित हुई। केरल की एक पुरानी तस्वीर को अब कुछ लोग दिल्ली के किसान आंदोलन से जोड़कर वायरल कर रहे हैं।
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